कोई ना खरीद सके इतने बडे तो हैं हम नया भारत बनाया जा रहा है हमें हमसे ही डराया जा रहा है(मुकुल सरल)

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*कोई ना खरीद सके इतने बड़े तो हैं हम*——मुकुल सरल
*जनमित्र सम्मान से सम्मानित किए गए मुकुल सरल*
*नया भारत बनाया जा रहा है, हमें हमसे ही डराया जा रहा है*
*आग से उसको डर नहीं लगता जो पानी से जला होता है*

AHN News रिपोर्ट सुभाष शास्त्री के साथ संजल प्रसाद

वाराणसी। जगतगंज क्षेत्र स्थित एक होटल में रविवार को एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें एक महत्वपूर्ण पुस्तक गजल संग्रह *मेरी आवाज में तू है शामिल* का विमोचन एवं पुस्तक के लेखक मुकुल सरल को अंगवस्त्र देकर *जनमित्र सम्मान* से सम्मानित भी किया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद मीडियाकर्मी, प्रबुद्धजन, कवि, समाजसेवी, सरकार के पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधि, लेखक, विचारक, समीक्षक लोग इस पुस्तक विमोचन के साक्षी बने। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ चिंतक, समीक्षक समाजसेवी डॉक्टर मोहम्मद आरिफ ने अपने महत्वपूर्ण विचारों से लोगो को अवगत कराते हुए पुस्तक के कुछ गजलो पर भी गहनता से अपने विचार व्यक्त किये और अपने शेरो-शायरी से उपस्थित लोगों को झूमने और वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक डाक्टर लेनिन ने अपनी बात रखते हुए बताया कि मानवाधिकार पर विपुल विजिलेंस कमेटी (पीवीसीएचआर) एक ऐसे नायक को जनमित्र सम्मान से सम्मानित करते हुए गौरव महसूस कर रहा है जिसने अदम्य साहस और नवाचार करने की दृढ़ता से वंचित समुदाय के उत्थान के लिए हमेशा जोखिम उठाया है। कवि-पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मी मुकुल सरल को मौजूदा दौर में एक ऐसे मॉडल के रूप में देखा जा सकता है, जिन्होंने दबाव और सेंसरशिप का विरोध करने में हमेशा साहस प्रदर्शित किया। आज की दुनिया अभिव्यक्ति के भयंकर संकट से गुजर रही है। पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, राजनेताओं और दब्बू मीडिया मालिकों के निशाने पर है। कई बार हम अपनी आत्मा बेचकर कहीं भी अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार खो देते हैं, लेकिन मुकुल जी ने हमेशा इन चुनौतियों का मुकाबला किया। जोखिम भरी कीमत चुकाने के बावजूद उन्होंने सत्य का खांडा हमेशा निर्भरता पूर्वक खड़काया है। सूचना अराजकता, कलम पर सेंसरशिप पर विरोध दर्ज कराते हुए विघटनकारी ताक़तों का कड़ा मुकाबला किया है। मुकुल जी वंचित समुदाय के उत्थान और तरक्की के लिए हमेशा विश्वसनीय रिपोर्टिंग को प्रमुखता दी। विश्व प्रेस आजादी तालिका के 180 देश में भारत का 142 वां स्थान है। यदि पत्रकारिता किसी देश की इतनी फ़िसड्डी हो तो उसके लोकतंत्र का हाल क्या होगा? लोकतंत्र के तीन खंभे विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अलावा चौथा खंभा खबरपालिका है, जो सबकी खबर ले और सबको खबर दे। पहले तीन खम्भों के मुकाबले सबसे ज्यादा मजबूत है। हर शासक की कोशिश होती है कि इस खंभे को खोखला कर दिया जाए। इस दौर में मुकुल सरल ऐसे साहसी पत्रकार हैं जो अपनी कलम की धार से सत्तानसिनों के दम फुलाएगा। बताते चले कि पुस्तक के लेखक मुकुल सरल देश के चर्चित मीडिया संस्थान न्यूज़ क्लिप (न्यू दिल्ली) में समाचार संपादक भी हैं। सत्तापक्ष से मिलने वाली तमाम धमकियों के बावजूद वह हमेशा अपने टेक पर डटे रहते हैं। निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार मुकुल सरल जनमित्र सम्मान से भी बड़े सम्मान के पात्र हैं इनका सम्मान उन जैसे सभी पत्रकारों का हौसला जरूर बढ़ाएगा। परिचर्चा के बीच जनमित्र सम्मान से सम्मानित किए गए गजल संग्रह पुस्तक *मेरी आवाज में तू है* शामिल के लेखक एवं पत्रकार मुकुल सरल ने बड़ी ही निडरता से सीना ठोककर कहा कि …कोई ना खरीद सके इतने बड़े तो हैं हम, नया भारत बनाया जा रहा है, हमें हमसे ही डराया जा रहा है, आग से उसको डर नहीं लगता जो पानी से जला होता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.मोहम्मद आरिफ, विशिष्ट अतिथि पुस्तक के लेखक एवं न्यूज क्लिक नई दिल्ली के समाचार संपादक मुकुल सरल, सुरेखा सिंह, आचार्य संत विवेकदास (कबीरमठ कबीर चौरा के महंत) संचालन अशोक आनंद वर्मा, धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत ने किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर लेनिन एवं श्रुति नागवंशी मानवाधिकार जन निगरानी समिति पांडेयपुर वाराणसी रहे।