रिपोर्टर मायाराम वर्मा
पीलीभीत आज गन्ने के साथ चुकंदर की खेती के सम्बंध में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनपद के किसानों को जानकारी दी गयी। यह जानकारी राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर की निदेशिका द्वारा दी गयी।
निदेशक डॉ सीमा परोहा द्वारा बताया गया कि गन्ने के साथ चुकंदर की खेती, गन्ना किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी होगी। उन्होंने बताया कि गन्ना एक दीर्घकालिक फसल है, जिसके साथ चुकंदर की खेती अधिक लाभकारी हो सकती है। गन्ने की फसल जहाँ 10-12 महीने में परिपक्व होती है, वहीं पर चुकंदर की फसल 90-120 दिन में तैयार हो जाती है। गन्ने की फसल की अच्छी पैदावार लेने के लिए लाइन से लाईन की दूरी 4 फीट रखी जाती है। इसके बीच में चुकंदर की फसल ली जा सकती है। चुकंदर की फसल में लाईन से लाईन की दूरी 30 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी. रखते हैं। गन्ने के साथ चुकंदर की सह फसली खेती करके किसान भाई अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही जोखिम को घटाकर भूमि का बेहतर उपयोग-कर सकते हैं। चुकंदर से चीनी के साथ साथ एथेनाल उत्पादन भी किया जा सकता है स जैसा कि भारत सरकार की योजना है कि वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20ः एथेनाल मिश्रण किया जाय। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए गन्ने के साथ साथ वैकल्पिक स्रोत्रों से एथेनाल उत्पादन की आवश्यकता है। ऐसे में चुकंदर एक अत्यंत उपयोगी स्त्रोत है। क्योंकि चुकंदर में उच्च मात्रा में शर्करा (शुगर कन्टेंट) होती है। चुकंदर से एथेनाल उत्पादन न केवल किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है बल्कि यह देश की उर्जा आत्मनिर्भरता (हरित ऊर्जा ) की दिशा में एक मजबूत कदम है । इस कार्यक्रम में अपर गन्ना आयुक्त (विकास) वी.के. शुक्ल द्वारा चुकंदर की खेती से संबंधित आवश्यक जानकारी, बीज की उपलब्धता एवं उगाए गए चुकंदर की फसल की चीनी मिलों द्वारा खरीद के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई । आज की इस वीडियो कान्फ्रेंसिंग के अवसर पर खुशी राम भार्गव जिला गन्ना अधिकारी पीलीभीत, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक पीलीभीत, मझोला एवं बरखेड़ा तथा कृषक हरि ओम गंगवार, राजेंद्र सिंह, जगजीत सिंह, नरेंद्र सिंह, नीरज कुमार, राकेश सागर व अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया।