लखविंदर सिंह की पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, तिरंगे को सीने से लगा रोई पत्नी
आखिरी संदेश में कहा कल बात करूंगा लेकिन तिरंगे में लिपटकर लौटे लखविंदर सिंह
AHN MEDIA PILIBHIT
सिक्किम में हुए भूस्खलन ने एक और भारतीय सपूत को हमसे छीन लिया। पीलीभीत जिले के कलीनगर तहसील के गांव धुरिया पलिया निवासी हवलदार लखविंदर सिंह (38) सोमवार को ड्यूटी के दौरान भूस्खलन की चपेट में आकर वीरगति को प्राप्त हो गए। शनिवार को उन्होंने पत्नी को एक ऑडियो संदेश भेजा था जिसमें उन्होंने कहा, “यहां सब ठीक है… मम्मी-पापा से बात नहीं हो पा रही है, कहना सब ठीक है, कल बात करूंगा।” लेकिन उनकी यह अंतिम बात कभी पूरी न हो सकी।
सिक्किम भूस्खलन में बलिदान हुए पीलीभीत के हवलदार लखविंदर सिंह (38 वर्ष) की पार्थिव शरीर को बुधवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे गांव धुरिया लाया गया। तिरंगे में लिपटे बलिदानी पति को देख पत्नी रुपिंदर कौर बिलख पड़ीं। उनकी गोद में ढाई माह की मासूम बेटी थी, वह भी बिलख रही थी। मासूम बेटा एकमजोत सिंह फूट-फूटकर रोया। बुजुर्ग माता-पिता बदहवास हो गए। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं। बलिदानी लखविंदर सिंह की पार्थिव देह को उनके घर के बाहर रखा गया। उनके अंतिम दर्शन करने के लिए हजारों लोग पहुंचे। प्रशासन-पुलिस की तरफ से अधिकारियों ने बलिदानी को पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धाजंलि दी। सेना के जवानों ने सलामी दी।इस दौरान भारत माता की जय, लखविंदर सिंह अमर रहें के नारे गूंजते रहे।
जब सोमवार शाम परिजनों को लखविंदर सिंह के बलिदान की सूचना मिली तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। पिता गुरुदेव सिंह ने किसी तरह खुद को संभाला, लेकिन मां गुरमीत कौर और पत्नी रुपिंदर कौर बेसुध हो गईं। लखविंदर सिंह की शहादत ने पूरे परिवार को झकझोर दिया। सात वर्षीय बेटा एकमजोत बार-बार अपने पिता को याद कर रोता रहा। वहीं, ढाई महीने की बेटी को अभी यह भी नहीं मालूम कि उसका पिता अब इस दुनिया में नहीं रहा। लखविंदर सिंह हाल ही में बेटी के जन्म के बाद 50 दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे। वह 20 अप्रैल को वापस ड्यूटी पर लौटे थे। उनके चाचा सेवानिवृत्त फौजी जसवीर सिंह ने बताया कि नेटवर्क की समस्या के चलते परिवार का उनसे सीधा संपर्क नहीं हो पा रहा था। शनिवार को उन्होंने पत्नी को एक ऑडियो संदेश भेजा था जिसमें हालचाल बताया था।
बलिदान की खबर के बाद मंगलवार को जिलाधिकारी पीलीभीत ज्ञानेंद्र सिंह और पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव खुद लखविंदर सिंह के घर पहुंचे। उन्होंने परिवार से मिलकर संवेदनाएं व्यक्त कीं और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
केंद्रीय राज्यमंत्री और सांसद जितिन प्रसाद ने एक्स पर पोस्ट करते हुए परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि देश को अपने वीर सपूत पर गर्व है और सरकार शोकाकुल परिवार के साथ खड़ी है।
गांव के लोगों ने मांग की है कि शहीद हवलदार लखविंदर सिंह और उनके चचेरे भाई मनतेज सिंह की याद में गांव के दोनों ओर शहीद द्वार बनाए जाएं ताकि आने वाली पीढ़ियां इनकी बलिदान गाथा को याद रख सकें। साथ ही लैहारी पुल का नाम भी किसी एक शहीद के नाम पर रखे जाने की मांग उठाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि इस संबंध में पूर्व में मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजे गए थे।
हवलदार लखविंदर सिंह की शहादत न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा उनका अंतिम संदेश अब उनके नाम के साथ अमर हो गया है “मम्मी-पापा से कहना, सब ठीक है।”
राजकुमार वर्मा
पीलीभीत