AHN Media Harish Gangwar Pilibhit
बरहा गांव में सड़क बनी तालाब के कारण ग्रामीण परेशान पौने दो करोड़ खत्म होने के बाद भी गांव में नहीं दिख रहा विकास
खबर उत्तर प्रदेश के जनपद पीलीभीत से है
विकासखंड ललौरी खेड़ा के गांव बरहा के ग्रामीणों ने बताया कि उनके यहां 10 वर्षों से कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है
बरसों से बदहाल गांव की गलियों में भयंकर गंदगी व्याप्त है
बरहा से पूरनपुर रोड को जाने वाला मार्ग तालाब में तब्दील हो चुका है रोड के दोनों तरफ नाला ना होने से पानी भरा रहता है ग्रामीणों ने कई बार इसकी शिकायत अधिकारियों से की मगर अधिकारी कागजी विकास करने में लगे हुए हैं ग्रामीणों ने बताया कि एक-एक सड़क का तीन-तीन बार प्रधान और सचिव ने मिलकर पैसा निकाल लिया
लगातार दूसरी बार बनते चले आ रहे प्रधान जी को सरकारी धन को बंदर बांट करने का अनुभव काफी बढ़ गया है तीन वर्षों के कार्यकाल में प्रधान जी ने गांव में लगभग पौने दो करोड़ का कागजी विकास कार्य कर दिया है
उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस की नीति से प्रधान जी को कोई लेना देना नहीं है
ई ग्राम स्वराज पर विकास के लिए खर्च की गई लगभग पौने दो करोड़ की धनराशि में ज्यादातर बिल वाउचर ओके नाम से काट दिए गए जबकि ओके की जगह पर गांव में कराए गए विकास कार्यों का विवरण दर्शाया जाना चाहिए था पारदर्शिता के लिए सरकार डिजिटल इंडिया के तहत काम कर रही है जिससे सरकारी धनराशि से हुए विकास कार्यों को जनता घर बैठकर देख सके मगर नहीं साहब इस वक्त कागजों में कार्य योजना बना रही है कागजों में विकास हो रहा है कागजों में खुली मीटिंग हो रही है ज्यादातर खुली मीटिंग के लिए प्रधान अपने 10-20 लोगों को बुला लेते हैं और फोटो खींचकर अपलोड कर कार्य योजना तैयार कर सरकारी धन गवन करने में लगे हुए हैं
आपको बता दें बरहा ग्राम पंचायत में पिछली पंचवर्षी में भी यही प्रधान थे तब भी गांव बदहाल स्थिति में था और आज भी गांव की सड़कें बदहाली के आंसू रो रही हैं
कीचड़ से बज बजती सड़कों से ग्रामीणों का निकला तक दुभर हो गया है
ग्रामीणों की माने तो प्रधान जी को इलेक्शन जीतना भी आता है और पैसे का बंदर बाँट करना भी अच्छी तरह आता है
ग्रामीणों ने बताया कि बरहा और राजीव कॉलोनी को मिलाकर इस गांव में लगभग 14 हजार वोटर है
अब आप सोचिए शहर से सटे इतनी बड़ी जनसंख्या के गांव में इस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है तो जहां अधिकारी नहीं पहुंच पाते हैं वहां के विकास का क्या हाल हो सकता है