फर्जी एस्टीमेट तैयार कर बिल वाउचर बनाकर निकाला गया लाखों रुपया
(AHN News Director Alka)
पीलीभीत विकासखंड मारौरी के गांव दहगला के ग्रामीणों ने बताया कि उनके यहां प्रधान और सचिव ने अमीरों को आवंटित कर दिए आवास बेसहारा गरीब पात्रों को नहीं मिला आवास योजना का लाभ आरोप है कि प्रधान और सचिव ने पैसे लेकर प्रधानमंत्री आवासों का आवंटन किया है ग्रामीणों ने बताया कि उनके यहां कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है ग्राम निधि से जो स्ट्रीट लाइटें लगवाई गई थी वह भी आधे से ज्यादा ठप्प पड़ी हैं शाम को अंधेरा होने के बाद रोशनी देने का काम नहीं कर रही नकली स्ट्रीट लाइटें लगाकर पैसे का बंदर बांट किया गया है गांव में नाली खरंजा नहीं बनाए गए जिससे लोगों को निकालने बैठने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है ग्रामीणों की माने तो गांव में कोई विकाश कार्य नहीं हुआ एक तरफ सरकार पारदर्शिता को लेकर चिंतित है तो वही दूसरी तरफ सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं वित्तीय वर्ष 21 /22 में ग्राम पंचायत दहगला में 15 वित्त से 2 लाख से ऊपर रुपया निकाला गया 2022-23 मे पांचवें वित्त में 10 लाख से ऊपर रुपए निकाला गया वही फिर 22 23 में 15 वित्त मे लगभग 11 लाख रुपए निकाला गया वित्तीय वर्ष 23/24 में पांचवें वित्त मे लगभग ₹500000 निकल गया फिर 2023/ 24 के 15 वे वित्त में 5 लाख से ऊपर रूपया निकाला गया
इस तरह लगभग अब तक पूरे गांव के विकास के लिए लगभग 32 लाख रुपया निकाल लिया गया मगर गांव की हालत
मे कोई सुधार नहीं है ग्रामीणों ने बताया कि कुछ कार्य पूर्व प्रधान द्वारा कराए गए थे इस बार तो केवल छुटपुट कार्य कराए गए हैं कोई भी ऐसा विकास कार्य नहीं कराया गया जिससे ग्रामीणों को कोई सुविधा मिल सके
एक तरफ सरकार पारदर्शिता के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है वही ग्राम पंचायत सचिव और प्रधान फर्मो को मोटा कमीशन देकर नकली बिल वाउचर लगाकर पैसे का बंदर बांट करने में लगे हुए हैं
मरौरी विकासखंड में कुछ ठेकेदार तो इसी बात पर सचिवों के पास पूरा दिन बैठे रहते हैं कि कौन से काम का पैसा कहां पर ठिकाने लगाना है फर्म के ठेकेदारों के पास कोई भी दुकान कहीं बनी हुई नजर नहीं आती है पूरे जनपद में इसी तरह फर्जी फर्मों के ठेकेदारों का मकड़ जाल फैला हुआ है फर्मो के अलावा विकास खंडों में प्राइवेट लोग भी घूमते रहते हैं जो की मजदूरी के नाम पर मिस्त्री के नाम पर खूब पैसा निकाल रहे हैं सूत्रों की माने तो इन प्राइवेट लोगों को मात्र 10% कमीशन मिलता है बाकी पैसे का बंदर बांट किया जाता है
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