MUDRA SCHEME: मुद्रा योजना में आठ वर्षाें में 23.2 लाख करोड़ के 40.81 करोड़ ऋण मंजूर

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मुद्रा योजना में आठ वर्षाें में 23.2 लाख करोड़ के 40.81 करोड़ ऋण मंजूर
MUDRA SCHEME, 08 अप्रैल (वार्ता)- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के शुभारंभ से लेकर अब तक 23.2 लाख करोड़ रुपये के 40.82 करोड़ से भी अधिक ऋण स्वीकृत किए गए हैं और इससे जमीनी स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करने में मदद मिली है तथा यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ गेम चेंजर भी साबित हुई है। वित्त मंत्री ने इस योजना के आठ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू की गई इस योजना से सूक्ष्म उद्यमों तक ऋणों की आसान एवं परेशानी मुक्त पहुंच संभव हो पाई है और इससे बड़ी संख्या में युवा उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद मिली है।

MUDRA SCHEME: मुद्रा योजना में आठ वर्षाें में 23.2 लाख करोड़ के 40.81 करोड़ ऋण मंजूर

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) का शुभारंभ 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा आय सृजित करने वाली गतिविधियों के लिए गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक के गिरवी-मुक्त सूक्ष्म ऋण आसानी से मुहैया कराने के उद्देश्य से किया गया था। ‘पीएमएमवाई’ के तहत ऋण दरअसल सदस्य ऋणदाता संस्थाओं (एमएलआई) यथा बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) और अन्य वित्तीय मध्यस्थों द्वारा प्रदान किए जाते हैं। पीएमएमवाई के आंकड़ों के संदर्भ में श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस योजना के शुभारंभ से लेकर 24 मार्च 2023 तक 40.82 करोड़ ऋण खातों में लगभग 23.2 लाख करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
इस योजना के तहत लगभग 68 प्रतिशत खाते महिला उद्यमियों के हैं और 51 प्रतिशत खाते एससी/एसटी और ओबीसी श्रेणियों के उद्यमियों के हैं। यह दर्शाता है कि देश के नवोदित उद्यमियों को आसानी से ऋण की उपलब्धता से नवाचार और प्रति व्यक्ति आय में सतत वृद्धि हुई है। एमएसएमई के माध्यम से विकास पर वित्त मंत्री ने कहा कि एमएसएमई के विकास ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में व्‍यापक योगदान दिया है क्योंकि मजबूत घरेलू एमएसएमई की बदौलत घरेलू बाजारों के साथ-साथ निर्यात के लिए भी स्वदेश में उत्पादन काफी अधिक बढ़ गया है। पीएमएमवाई योजना से जमीनी स्तर पर बड़ी संख्‍या में रोजगार अवसर सृजित करने में मदद मिली है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ गेम चेंजर भी साबित हुई है।