CALCUTTA: पश्चिम बंगाल के कलियागंज में निषेधाज्ञा लागू

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पश्चिम बंगाल के कलियागंज में निषेधाज्ञा लागू

CALCUTTA, 23 अप्रैल (वार्ता)- पश्चिम बंगाल में उत्तर दिनाजपुर जिले के कलियागंज में कथित आपराधिक हमले और बाद में एक किशोरी की हत्या के बाद हालात बेहद खराब हो गये हैं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए रविवार को धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है। आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत चार या अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

दो दिन बाद लापता किशोरी का शव मिला। इससे पहले, स्थिति ऐसी हो गई थी कि पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। पुलिस को स्थिति को नियंत्रण में लाने और शांति बनाए रखने के लिए और अधिक बलों की मांग करनी पड़ी। इस बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की टीम ने इलाके का दौरा किया और इसकी अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो ने पीड़िता के परिवार से करीब दो घंटे तक बातचीत की।

CALCUTTA: पश्चिम बंगाल के कलियागंज में निषेधाज्ञा लागू

कानूनगो ने लड़की के घर का दौरा किया और उस स्थल का मुआयना किया, जहां शव मिला था। उन्होंने कहा कि पीड़िता परिवार पुलिस की भूमिका से संतुष्ट नहीं है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच चाहता है। इस बीच, इस घटना के लिए भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप शुरु कर दिया हैं। दोनों ही पार्टियां किशोरी की मौत के एक-दूसरे को दोषी ठहराया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांतो मजुमदार ने कहा,“पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर के कलियागंज में एक और लड़की का रेप और हत्या कर दी गई। लड़की राजबंशी (एससी) समुदाय की है।

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अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, पुलिस परिवार के सदस्यों को पीट रही है और दबा रही है। शर्म करो!!” उन्होंने कहा,“देखिए, पश्चिम बंगाल पुलिस उत्तर दिनाजपुर में बलात्कार और हत्या की गई लड़की के शव को कितनी बुरी तरह से घसीट रही है। उनकी इस तरह की हरकतों से मानवता शर्मसार है। पश्चिम बंगाल पुलिस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर शर्म आती है।” पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रशासन द्वारा भाजपा के प्रतिनिधिमंडल को क्षेत्र का दौरा नहीं करने देने पर नाराजगी जतायी।

अधिकारी ने कहा,“भाजपा बंगाल के विधायकों को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें अनजाने में एक थाना में ले जाया गया और वहां जबरदस्ती बैठाया गया, अन्यथा बंगाल पुलिस जानकारी को कैसे दबाएगी और सबूतों को कमजोर कर देगी। वे पीड़ित के शरीर को अभद्र तरीके से घसीट रहे हैं।”

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