पीलीभीत हीटवेव लू(हीट स्ट्रोक)/गर्म हवाओं से बचाव हेतु अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) ऋतु पूनिया द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये गये
हैं। गर्म हवाएं/हीटवेव लू की स्थिति में क्या करें और क्या न करें- सभी के लिए चाहिए धूप में खडे़ वाहनों में बच्चों एवं पालतू जानवरों को न छोडे़, खाना बनाते समय कमरें के खिड़की एवं दरवाजे खुले रखें जिससे हवा का आना जाना बना रहे, पर्याप्त पानी पियें-भले ही प्यास न लगे, खुद को हाइडेªटेड रखने के लिए ओ0आर0एस0 (ओरल रिहाइडेªशन साॅल्यूशन), लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू का पानी, छाछ आदि जैसे घरेलू पेय का इस्तेमाल करें। हल्के वजन, हल्के रंग के, ढीले, सूती कपडे़ पहनें। अपना सिर ढके, पकडे़, टोपी या छतरी का उपयोग करें, धूप में चश्में, छाता, टोपी व चप्पलक का प्रयोग करें। यात्रा करते समय पीने का पानी साथ ले जाये। यदि मूर्छा या बीमारी अनुभव करते है तो तत्काल चिकित्सकीय सलाह लें।
नियोक्ता और श्रमिक- कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं, कार्यकर्ताओं को सीधे धूप से बचने को कहे। अति पारिश्रमिक वाले कार्यों को दिन के ठंडे समय में निर्धारित करें। बाहरी गतिविधियों के लिए ब्रेक की आवृत्ति में वृद्वि करें। गर्भवती श्रमिकों और श्रमिकों जिन्हे चिकित्सा देखभाल की अचानक जरूरत हो सकते हो उनका अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
वृद्ध एवं कमजोर व्यक्तियों के लिये- तेज गर्मी, खासतौर से जब वे अकेले हों, तो कम से कम दिन में दो बार उनकी जांच करें, ध्यान रहे कि उनके पास फोन हो। यदि वे गर्मी से बैचेनी महसूस कर रहे हों तो उन्हें ठंडक देने का प्रयास करें। उनके शरीर को गीला रखें, उन्हें नहलाएं अथवा उनकी गर्दन तथा बगलों में गीला तौलिया रखें। उन्हें अपने पास हमेश पानी की बोतल रखने के लिए कहें।
शिशुओं के लिये- उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। शिशुओं में गर्मी की वजह से होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखें। यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब कि वह डिहाईडेªशन (पानी की कमी) का शिकार हैं। बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़ कर न जाए, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।
पशुओ के लिए- जहां तक सम्भव हो, तेज गर्मी के दौरान उन्हें घर के भीतर रखें। यदि उन्हें घर के भीतर रखा जाना सम्भव न हो तो उन्हे किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे आराम कर सकें। ध्यान रखें कि जहां उन्हे रखा गया हो वहां दिनभर छाया रहे। जानवरों को किसी बंद में न रखे, क्योकि गर्म मौसम में इन्हे जल्दी गर्मी लगने लगती है। ध्यान रखें कि आपके जानवार पूरी तरह साफ हों, उन्हें ताजा पीने का पानी दें, पानी को धूप में न रखें। दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकडे डालें। पीने के पानी के दो बाउल रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वे पानी पी सकें। अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें। किसी भी स्थिति में जानवर को वाहन में न छोडे़। निचली मंजिलों पर रहने का प्रयास करें। पंखे का प्रयोग करें, कपड़ो को नम करें और ठंडे पानी में स्नान करें।
क्या न करें- धूप में, खडे वाहने में बच्चे एवं पालतू जानवरों को न छोडे। खिड़की की रिफलेक्टर जैसे एल्युमुनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढककर रखें, ताकि बाहर की गर्मी का अन्दर आने से रोका जा सके। उन खिडकियों दरवाजे पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएॅ आती है काले कपडे/पर्दे लगाकर रखना चाहिए। जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण/स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सूनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सर्तक रहें। आपात स्थिति में निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें। जहाॅ तक सम्भव हो घर पर ही रहे, सूर्य के सम्पर्क से बचें। सूर्य की तापमान से बचने के लिए जहाॅ तक सम्भव हो घर की निचली मंजिल में ही रहें, सबसे उपरी मंजिल में कदापि न रहे, ताप के प्रभाव से लू का शिकार होने की सम्भावना प्रायः बनी रहती है। संतुलित हल्का व नियमित भोजन करें। गहरे रंग के भारी एवं तंग वस्त्र पहनने से बचें। खाना बनाते समय कमरे के खिडकी दरवाजे खुले रखे, जिससे हवा का आना जाना बना रहे। नशीले पदार्थ, शराब तथा अल्कोहल के सेवन से बचें। उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचें। बासी भोजन न करें। व्यक्ति जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है, शिाु/छोटे बच्चे, गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिलाऐ, व्यक्ति जनका वजन ज्यादा है या जो स्थूलकाय है, व्यक्ति जो अधिक चल फिर नहीं सकते, जिनका कही घर नही है, जो गर्म वातावरण में काम करते है, व्यक्ति जो गर्मी में जोशपूर्ण रूप से व्यायाम करते है। जिन्हे लम्बी/पुरानी बीमारियां है जैसे कि दिल की बीमारी, उच्च रक्तचाप, डाईबिटीज या गुर्दे की बीमारी, मानसिक बीमारी, डिमेन्शिया या अन्य व्यक्ति जो शराब या मादक द्रव्रूों का सेवन करते है लो जिन्हे घातम बीमारी है, जैसे कोई संक्रमण रोग जिसमें बुखार या आतो में सूजन की बीमार आदि को गर्मी के मौसम में अपना ध्यान रखना चाहिए अन्यथा गर्मी के कारण उनको गम्भीर स्वस्थ समस्या हो सकती है। दोपहर 12 से 3 बजे के बीच गर्मी से बचे, ठंडे स्थान पर रहे तरल पदार्थ का सेवन करें, ढीले ढाले सूती व हल्के रंग के कपडे पहने। अपने सिर पर टोपी, छाता व कपड़ा आदि को उपयोग करें। ओआरएस घोल व अन्य घरेलू पेय पदार्थो का सेवन करें। रेडियों सुनिए, टीवी देखिए, स्थानीय मौस समाचार के लिए समाचार पत्र पढे़।