डी एमओ ने फाइलेरिया ग्रसित रोगियों को साफ-सफाई व देखभाल के तरीके बताए

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डी एमओ ने फाइलेरिया ग्रसित रोगियों को साफ-सफाई व देखभाल के तरीके बताए

सुभाष शास्त्री की रिपोर्ट

प्रभावित अंगों की नियमित साफ-सफाई व देखभाल के लिए दी गई एमएमडीपी किट
वाराणसी, 24 जून 2024 – फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सोमवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ागांव में फाइलेरिया (हाथी पांव) से ग्रसित 25 रोगियों को रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांग्ता रोकथाम (एमएमडीपी) किट और आवश्यक दवा प्रदान की गई। जिला मलेरिया अधिकारी डा शरद चंद पांडेय ने सभी रोगियों को घाव की नियमित सफाई के तरीके, योगा व सामान्य व्यायाम के बारे में बताया। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग तत्वावधान में सीफार संस्था के सहयोग से आयोजित किया गया।
डा शरद चंद पांडेय DMO ने सभी रोगियों को एमएमडीपी किट के बारे में प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया ग्रस्त अंगों मुख्यतः पैर की साफ-सफाई रखने से संक्रमण का डर नहीं रहता है और सूजन में भी कमी रहती है। इसके प्रति लापरवाही बरतने पर अंग खराब होने लगते हैं। इससे समस्या बढ़ जाती है। संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए दवा भी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की साफ-सफाई बेहद आवश्यक है। इसलिए एमएमडीपी किट प्रदान की जा रही है। इस किट में एक-एक टब, मग, बाल्टी तौलिया, साबुन, एंटी फंगल क्रीम आदि शामिल हैं। पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्य समुदाय को फाइलेरिया के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही बीमारी से जुड़े मिथक को भी दूर कर रहे हैं। वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक विनोद कुमार सिंह ने सभी को फाइलेरिया (हाथ-पैरों में सूजन और अंडकोषों में सूजन) के कारण, लक्षण, पहचान, जांच, उपचार व बचाव आदि के बारे में विस्तार से बताया। फाइलेरिया की सभी ग्रेडिंग (हाथ-पैरों में सूजन व घाव की स्थिति) के बारे में जानकारी दी। एमएमडीपी किट को हाथीपांव ग्रसित रोगियों के उपयोग के बारे में बताया।
ग्राम दल्लूपुर की रानी लक्ष्मी बाई फाइलेरिया सहायता समूह की की सदस्य चिरौंजी देवी (52) ने बताया कि वह लगभग 20 वर्ष से हाथीपांव बीमारी से ग्रसित हैं। उन्होंने कई वर्षों तक इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अब फाइलेरिया नेटवर्क के साथ जुड़कर डॉक्टर से इसकी देखभाल के लिये सम्पूर्ण जानकारी मिली, जिससे वह अपने सूजे हुये पैरों की नियमित देखभाल कर रही हैं। अन्य सदस्य उदयभान (56) ने बताया कि वह करीब 22 साल से फाइलेरिया हाथीपांव से ग्रसित हैं। इसके अलावा नसीमा(60 वर्ष,)सम देई (62 वर्ष) जो की लगभग 30- 35 साल से फाइलेरिया से ग्रसित है कई वर्षों तक उपचार कराया, दवा भी खाई लेकिन आराम नहीं मिला। प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ने के बाद फाइलेरिया के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिली। अब वह किट के जरिये अपने सूजे हुये पैरों की साफ-सफाई और देखभाल करती हैं। साथ ही योगा व सामान्य व्यायाम भी कर रही हैं। इसके अलावा समुदाय में फाइलेरिया से बचाव के बारे में जागरूक भी कर रहे हैं।
इस मौके पर , वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन राजेश कुमार यादव ,फार्मासिस्ट हरीशंकर ,सीफार के जिला प्रतिनिधि एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।