*लंबे संघर्ष के बाद दिव्यांग को मिला दिव्यांगता प्रमाण पत्र*
*लोकायुक्त तक लगानी पड़ी दौड़, पहले दे रहे थे 24 प्रतिशत दिव्यांगता प्रमाण पत्र, अब 70 प्रतिशत दिव्यांग माना*
*पीड़ित दिव्यांग राजकुमार गुप्ता ने कहा, प्रमाण पत्र बनवाने के लिए डेढ़ साल में कई सरकारी दफ़्तरों सहित बीएचयू तक खाने पड़े धक्के लोकायुक्त से मिला न्याय*
*वाराणसी: राजातालाब* क्षेत्र के कचनार गाँव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता को श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय हास्पिटल से साल 2018 में 5 साल के वैधता के लिए अस्थाई 45 फ़ीसदी का दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी हुआ था जब साल 2023 में रिनुअल कराने के लिए पुनः मंडलीय हास्पिटल के ईएनटी विभाग में आवेदन किया परंतु डाक्टर और आडियोमेस्ट्रिस्ट को 20 हज़ार रुपये रिश्वत नही देने पर मनमाने तरीक़े से 24 फिसदी का गलत दिव्यांग प्रमाण पत्र रिनुअल यानी जारी कर दिया गया था। जिस बावत पीड़ित दिव्यांग राजकुमार गुप्ता ने सही दिव्यांग प्रमाण पत्र रिनुअल कराने के लिए ज़िलाधिकारी से गुहार लगायी तत्पश्चात् ज़िलाधिकारी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ज़िला अस्पताल के ईएनटी विभाग के डाक्टर प्रीति सिंह से जाँच करवाया परंतु अपने साथी डाक्टर को बचाने के लिए जाँच प्रभावित करते हुए पीड़ित को उनके द्वारा गुमराह कर दिया गया नतीजा कुछ नहीं निकलने पर पीड़ित ने लोकायुक्त का दरवाज़ा खटखटाया लोकायुक्त ने ज़िलाधिकारी से पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तलब किया तत्पश्चात् सीएमओ ने सर सुंदर लाल चिकित्सालय बीएचयू के ईएनटी विभाग में मेडिकल बोर्ड का गठन करा कर पीड़ित का जाँच परीक्षण करवाया यहाँ से 49 फिसदी दिव्यांगता की रिपोर्ट आया। तदैव पिछले जुलाई माह में सीएमओ ने गलत जारी दिव्यांग प्रमाण पत्र पीड़ित से सरेंडर करा कर पुनः एसएसपीजी मण्डलीय हास्पिटल में ईएनटी विभाग के डाक्टर महेश चन्द्र द्विवेदी से जांच करवा कर पीड़ित को 70 प्रतिशत दिव्यांग प्रमाण पत्र यानी यूडीआईडी कार्ड जारी किया है।
राजकुमार गुप्ता ने आरोप लगाया कि सरकारी मेडिकल बोर्ड दिव्यांग जनों को लगातार गुमराह कर रही है। दिव्यांग जन प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए सालो धक्के खाने पड़ रहे हैं। यूडीआईडी जो दिव्यांग जनों का सार्वभौमिक पहचान-पत्र है जो आवेदन के 90 दिनों के अंदर तक बनानी थी लेकिन इसे बनवाने में डेढ़ साल से अधिक समय लग रहा है। सरकार ने यूडीआईडी के लिए पुराने मेडिकल प्रमाण-पत्रों को मानने से इंकार कर दिया है। दिव्यांग जनों को यूडीआईडी एवं दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए सीएससी केंद्रों के हवाले कर दिया गया है। दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए आए हुए दिव्यांग जनों को मेडिकल बोर्ड द्वारा मनमाने तरीक़े से बीएचयू रेफर कर दिया जाता है या फिर मंगलवार को आने की तारीख दे दी जाती है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो देश के प्रधानमंत्री दिव्यांग जनों को दिव्यांग की संज्ञा देकर उनका मजाक उड़ाते हैं, दूसरी तरफ मेडिकल बोर्ड की भ्रष्टाचार और मनमानी से इस तरह से पीड़ित दिव्यांग जनों का पेंशन, सहायक उपकरण और अन्य सरकारी सुविधा पिछले कई सालो से बंद है। दिव्यांग जनों के सामने रोजी-रोटी के लाले पड़े हुए हैं लेकिन सरकार दिव्यांग जनों की ओर ध्यान देने की बजाय अमृत महोत्सव मना रही है।
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*पीड़ित दिव्यांग राजकुमार गुप्ता ने यह उठाईं मांगें*
दिव्यांग माण पत्र, यूडीआईडी, बस, रेल पास एवं अन्य सुविधाओं के लिए सीएचसी, पीएचसी स्तर पर शिविर लगाए जाए। यूडीआईडी कार्ड के लिए सभी तरह के पुराने दिव्यांग प्रमाण पत्रों को मान्यता दी जाए। रजिस्ट्रेशन की फ्री सुविधा हो मेडिकल बोर्ड, सीएससी और सहज केंद्रों की लूट पर रोक लगाई जाए। यूडीआईडी कार्ड दिव्यांग जनों के घर तक पहुंचाने का प्रबंध किया जाए। सभी तरह के कार्यालयों में एकल दिव्यांगता खिडक़ी खोली जाए। दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 का सख़्ती से पालन किया जाए। जिले में सभी तरह की कमेटियां गठित की जाए जिसमे दिव्यांग जनो के प्रतिनिधि शामिल किए जाए। जिला स्तर पर शिकायत निवारण कमेटी का गठन किया जाए। इस कमेटी में दिव्यांग प्रतिनिधि शामिल किया जाए। रिनुअल के अभाव में सालो महीनों से रूके दिव्यांग जनों के पेंशन उसे जारी करवाई जाए। पीड़ित दिव्यांग राजकुमार गुप्ता ने बताया कि अब दोषियों को दण्डित कराने और उत्पीड़न शोषण की क्षतिपूर्ति के लिए उच्च न्यायालय के शरण में जाएँगे ।
सुभाष शास्त्री के साथ
राजकुमार गुप्ता
वाराणसी