MEDIA SECURITY LAW: भूपेश के कड़े तेवारों से ही संभव हुआ मीडिया सुरक्षा कानून

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MEDIA SECURITY LAW
भूपेश के कड़े तेवारों से ही संभव हुआ मीडिया सुरक्षा कानून
MEDIA SECURITY LAW, 24 मार्च(वार्ता)- नौकरशाही की तमाम अड़गेबाजी और उदासीनता के बीच छत्तीसगढ़ में मीडिया सुरक्षा विधेयक का बनना और उसे विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित होना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कड़े तेवरों से ही संभव हो सका। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पत्रकारों के लिए सुरक्षा कानून बनाए जाने का वादा किया था पर सूत्रों के अनुसार नौकरशाही का एक वर्ग मीडिया सुरक्षा कानून बनाए जाने के पक्ष में नही था तो एक वर्ग इसे लेकर उदासीन था।इन सभी की कोशिश इस मसले को ठंड़े बस्ते में डालने की थी।
जबकि विधेयक को तैयार करने के लिए तमाम कवायद पहले ही पूरी हो चुकी थी। मीडिया सुरक्षा विधेयक तैयार करने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अफताब आलम की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति बनी थी, जिसकी सदस्य न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती अंजना प्रकाश,उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजूराम चन्द्रन, वरिष्ठ पत्रकार स्व.ललित सुरजन, प्रकाश दुबे,मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग, महाधिवक्ता, विधि विभाग के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक सभी इसके सदस्य थे।
इस समिति ने अनेक बैठकें राज्य में और दिल्ली में करके विभिन्न संगठनों से चर्चा करके इसका प्रारूप बनाया तभी से इसे ठंडे बस्ते में डालने में नौकरशाही का एक वर्ग जुट गया।वह प्रारूप के कई प्रावधानों को लेकर आपत्तियां जताने लगा। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग किसी भी कीमत पर इस विधेयक को पारित करवाना चाहते थे।उन्होने इसको लेकर नौकरशाही के रवैये की जानकारी मुख्यमंत्री बघेल को दी। सूत्रों के अनुसार बघेल ने इसके बाद साफ संदेश दे दिया कि वह इस विधेयक को बजट सत्र में ही सदन में रखना और मंजूरी दिलाना चाहते है।इस कड़े संदेश के बाद जस्टिस अफताब आलम की अध्यक्षता में बनी प्रारूप समिति द्वारा तैयार प्रारूप में कुछ संशोधनों के बाद इसे कैबिनेट में रखा गया और फिर विधानसभा में विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया।

MEDIA SECURITY LAW: भूपेश के कड़े तेवारों से ही संभव हुआ मीडिया सुरक्षा कानून

जानकारों के अनुसार बघेल के इस मामले में स्पष्ट रूख होने तथा उनके मीडिया सलाहकार गर्ग के इसे लागू करवाने को लेकर किए निरन्तर प्रयासों से ही यह कानून राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद तुरंत राज्य में प्रभावी हो जायेगा। महाराष्ट्र के बाद छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य हैं यहां बने इस कानून से पत्रकारों को अपने दायित्व के निर्वहन में सुरक्षा मिलेगी।श्री गर्ग राज्य के वरिष्ठ पत्रकार है,और कई प्रमुख समाचार पत्रों में सम्पादक रह चुके है।
मुख्यमंत्री बघेल के अनुसार मीडिया सुरक्षा विधेयक का पारित होना छत्तीसगढ़ के मीडिया इतिहास के लिए ऐतिहासिक अवसर है।इस विधेयक में बहुत सारे प्रावधान है जोकि प्रिन्ट,इलेक्ट्रानिक और पोर्टल के पत्रकारों को उनके काम करने में सुरक्षा प्रदान करेंगे।शासकीय कर्मचारियों के द्वारा दुर्व्यवहार करने के मामलों की की शिकायत के लिए इसमें समिति का प्रावधान है।
समिति को अधिकार संपन्न बनाया गया है। यह समिति प्रदेश स्तर पर होगी, जिसमें पत्रकार भी होंगे। छह लोगों की समिति बनेगी, जो कि सुनवाई करेगी और आवश्यक निर्देश भी दे सकेगी,इसके साथ ही दण्ड का भी प्रावधान है। इसके साथ ही यदि कोई गलत शिकायत करता है तो उसमें भी दण्ड का प्रावधान रखा गया है।