*साहित्य अकादमी के 22 प्रतिष्ठित रसधार कवियों और साहित्यकारों ने अनेक मुद्दों पर कविताओं, रचनाओं व गीत गजलों के माध्यम से अपनी प्रतिभा के बिखेरे जलवे।* *”फरर फरर बढ़े गेहूं, मन में फूले फुलका”*

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खटीमा थारू राजकीय इंटर कॉलेज के अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सभागार में साहित्य अकादमी खटीमा के द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय और भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के जयंती पर राजकीय इंटर कॉलेज चारूबेटा के प्रधानाचार्य राम नारायण वर्मा की अध्यक्षता में एक भव्य कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जहां श्याम वीर सिंह बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे तथा डाक्टर महेंद्र प्रताप पांडे नंद ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।कवि सम्मेलन में क्षेत्र के तमाम प्रतिष्ठित कवियों ने छंदो पर आधारित अनेक मुद्दों पर अपनी कविताएं प्रस्तुत की। वहीं कवि दीपक फुलेरा बेबाक ने “दौरे मोहब्बत का किस्सा मैं सुनाऊंगा, महफिल में यारों को सच मैं बताऊंगा , सुनाया तो शांति देवी “शांति”ने अपने दोहों से “विकट विनायक बुद्धि से रखो हमारी लाज, तेरे पूजन से बने सकल सुमंगल काज ” कह करके कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। रामचंद्र प्रेमी “दद्दा” ने “जन्म हीरा खोई दियो रे , अब काहे पछताव” तो आकाश प्रभाकर ने “मर्यादाओं के पुरुष माना जाना जिन्हें सदा, पहचान देश की बनाने वाले राम है ” कहकर खूब वाहवाही लूटी। नूर निशा ने अपनी बाल कविताओं से “जब तितली फूलों पर डोले, तोता उससे टैटू बोले” कह कर एक नई दिशा दी तो वहीं हेमा जोशी परू ने अपने मधुरिम गीत “कैसे समझाऊं तुम्हें कैसे बतलाऊं तुम्हें, मैं यह जो तराने गुनती हूं ,सुनाकर खूब तालियां बटोरी। हाजी डॉक्टर इलियास सिद्दीकी ने “नशेमन फिर बनाऊंगा चमन में, मुझे बरक ए तपा का का गम नहीं है” तो राम रतन यादव रतन ने अपने श्रृंगारिक कविता” कह न सके कुछ अधर अधखुले ,मन के भाव रह गए मन में ” सुना कर गुदगुदी पैदा की ।त्रिलोचन जोशी “टीसी गुरु” ने “आया जाड़ा झूमकर, ठंडक लाई भोर” सुना कर अपने विचार व्यक्त किए । वहीं बसंती सामंत ने “क्या लिखूं प्रियतम तुमको,कोई पुराना गीत लिखूं या तुमको अपना मीत लिखूं” सुनाया तो वहीं तुलसी बिष्ट ने “धूप से सुबह सलोनी और खुशनुमा है शाम, आज दिन पर हुई कुछ यूं मेहरबान है शाम” जैसी गजल सुनाई। तरुण सकलानी “सरल” ने “मैया तेरा कान्हा मां हरसाए “कह कर वातावरण को भजनमय कर दिया तो कैलाश पांडे ने संयोग श्रृंगार पर गीत प्रस्तुत किया तो वहीं संचालन कर रहे महेंद्र प्रताप पांडे नंद ने भूमंडलीय ताप वृद्धि पर चिंता जताते हुए कहा कि “कैसे तुम पर प्यार लुटाऊं मुश्किल दिन है रात ,जाने कहां गई बरसात ,पूछे हरदम मोर गुजरिया” सुनाकर चिंतन को मजबूर कर दिया । अमीर अहमद अमीर ने ” उसकी आंखों में नूर है शाकी,, तो रावेंद्र कुमार रवि ने” फरर फरर बढ़े गेहूं,मन में फूले फुलका सुनाकर बचपन की यादों को ताजा कर दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष रामनारायण वर्मा ने कहा कि साहित्य अकादमी खटीमा के द्वारा 22 कवियों और शायरों ने अपने गीत गजल और कविताओं से समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया है और साहित्य अकादमी परिवार का यह कार्य बहुत ही सराहनीय है। साहित्य समाज का दर्पण है और कवियों ने समाज की दशा का व्यापक चित्रण किया है ।इस अवसर पर शायर तकी हनफी, अमीर अहमद “अमीर” नूर मोहम्मद “नूर” शहजादा अबसार सिद्दीकी, आलोक सिंह ने भी अपनी कविताओं और गजलों के माध्यम से सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया किया। पूरे कार्यक्रम में कवियों और साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं, गीत गजलों, छंदों दोहों और कविताओं के माध्यम से कार्यक्रम को रोचक बनाए रखा तथा आकर्षण का केंद्र बने रहे। वहीं कार्यक्रम के संचालक डॉक्टर महेंद्र प्रताप पांडे नंद ने बताया कि कवि गोष्ठी में क्षेत्र के तमाम प्रतिष्ठित कवियों ने रसधार कविताओं और रचनाओं की प्रस्तुति देखकर कार्यक्रम को मनमोहक और रोचक बनाया।

संवाददाता- गोरख नाथ यूपी उत्तराखण्ड हेड
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