MONSOON, 11 अप्रैल (वार्ता)- भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मंगलवार को कहा कि इस वर्ष देश में वर्षा ऋतु (जून-सितंबर 2023) के दौरान कुल मिलाकर बारिश दीर्घकालिक सामान्य स्तर के 96 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है जिसे सामान्य मानसून माना जाता है। आईएमडी महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने यहां संवाददाताओं को बताया कि अनुमान के मॉडल में त्रुटि की संभावना के साथ वास्तविक वर्ष उपरोक्त अनुमान से पांच प्रतिशत कम या अधिक भी हो सकती है।
IMD के 1971 से 2021 की अवधि के दीर्घावधि औसत (LPA) के अनुसार, देश में सामान्यतः वर्षा ऋतु में 87 सेमी बारिश होती है। हर जगह वर्षा में समानता न होने से कई क्षेत्रों में सामान्य से और भी कम या अधिक वर्षा होने का अनुमान है। मौसम विभाग ने कहा है कि प्रायद्वीपीय भारत (दक्षिण के प्रांतों) के कई क्षेत्रों और उनसे सटे पूर्वी मध्य भारत, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने के आसार हैं, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों और पश्चिम-मध्य भारत के कुछ हिस्सों सहित पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य या सामान्य से कम वर्षा हो सकती है।
MONSOON: मानसून सामान्य रहने के आसार: मौसम विभाग
आईएमडी के अनुसार इस समय ‘भारतीय नीनो’ यानी हिंद महासागर के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर समुद्र तल के तापमान में अंतर की स्थितियां (आईओडी) तटस्थ बनी हुई हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल के अनुसार आगे दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतु के दौरान भारतीय नीनो प्रभाव सकारात्मक रूप से विकसित होने के आसार हैं। बयान में कहा गया है कि इस वर्ष फरवरी और मार्च में उत्तरी गोलार्ध के बर्फ से ढके क्षेत्र सामान्य से कम पाए गए। उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया में सर्दियों और बसंत में वर्षा कम होती है तो दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतु वर्षा का अनुमान अधिक हो जाता है क्योंकि दोनों में सामान्यतः विपरीत संबंध की प्रवृत्ति है।
आईएमडी मई 2023 के अंतिम सप्ताह में मानसनू की वर्षा के बारे में अगला अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा। बयान में यह भी कहा गया है कि इस समय भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में ‘ला नीना’(समुद्र की सतह के तापमान) की स्थिति तटस्थ मानी जाने वाली स्थिति में बदल गई है। विभिन्न नवीनतम जलवायु मॉडलों से आसार हैं कि दक्षिण-पश्चिम मानूसन के दौरान ‘ अलनीनो’ (समुद्र की ऊपरी सतह सामान्य से अधिक गर्म होने) की स्थिति विकसित होगी।
हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान का भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा पर असर पड़ता है।