प्राकृतिक संसाधनों का चिकित्सा में सर्वोत्तम उपयोग किया भारत ने

12
Natural resources
Natural resources

Natural resources, नयी दिल्ली 02 मार्च (वार्ता) : आयुष सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि भारत ने लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के साथ-साथ सार्वभौमिक स्वास्थ्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों के माध्यम से उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया है।  सोनोवाल ने बृहस्पतिवार को असम के गुवाहाटी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत पारंपरिक चिकित्सा पर पहले वैश्विक सम्मेलन और प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत के सहयोग से जामनगर में स्थापित किया जा रहा ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र’ सभी सदस्य देशों को पारंपरिक चिकित्सा की शिक्षा और प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए अपने संबंधित देशों में उचित कदम उठाने में मदद करेगा।

Natural resources

उद्घाटन समारोह में एससीओ के 17 देशों के भागीदारों के 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। चार देश ऑनलाइन शामिल हुए। समारोह में आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. महेंद्रभाई मुंजपारा, म्यांमार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ थेट खिंग विन और मालदीव के उप स्वास्थ्य मंत्री सफ़िया मोहम्मद सईद तथा आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।  मुंजपारा ने कहा कि भारत आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और सोवा-रिग्पा की शिक्षा की गुणवत्ता आश्वासन पर बहुत जोर देता है। आयुष उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई नियामक प्रावधान और मान्यता तंत्र मौजूद हैं। भारत ने उनके प्रशिक्षण, अनुसंधान और सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों और पश्चिमी चिकित्सा को एकीकृत करने के लिए देश की “एकीकृत चिकित्सा नीति” विकसित करने का भी बीड़ा उठाया है। म्यांमार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. थेट खिंग विन ने कहा, “म्यांमार में पारंपरिक दवाओं को एक अमूल्य राष्ट्रीय विरासत माना जाता रहा है, हमारी संस्कृति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। पारंपरिक दवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए हम हर तरह से पारंपरिक दवाओं के विकास में सहयोग कर रहे हैं।

”  सईद ने कहा कि विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक दवाएं लाखों लोगों के लिए आय का मुख्य स्रोत हुआ करती थीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उद्योग की सहायता के लिए कानूनी ढांचे और दिशानिर्देशों का अभाव है। कार्यक्रम में 13 देशों के कुल 75 विदेशी अधिकारी और व्यापार प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। चीन, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान के आधिकारिक प्रतिनिधि ऑनलाइन शामिल हुए।

यह भी पढ़ें : स्थाई समिति के नतीजे के दौरान पार्षदों के बीच हाथापाई