इजरायल में बना तानाशाही का नया मॉडल !

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इजरायल
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इजरायल में न्यायिक सुधार कानून खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शनों के चलते प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को झुकना पड़ा। इसके बाद सरकार ने विवादित न्यायिक सुधार कानून को निलंबित कर दिया। आखिर इजरायल में न्यायिक सुधार कानून क्या है जिसकों लेकर लोग सड़कों पर क्यों उतर आए हैं।

सड़कों पर हिंसा, आसमान छूती आग की लपटें, काले झंडे लेकर भागते लोग, माथे पर लोकतंत्र के नारे, जुबान में अपने नेता के खिलाफ नारें, न पुलिस का डर, न मौत की भय। सैलाब की तरह आवाम नदी जैसे प्रशासन को लीलने में तुला है। ये सब सुनकर आपके मन में जो तस्वीर बन रही है वो

लेबनान, ईरान, इराक, फिलस्तीन, सीरिया जैसे इस्लामिक देशों की नहीं बल्कि इजरायल की है। जो बीते कई दिनों से धधक रहा है। इस छोटे से देश को पहले कभी ऐसा नहीं देखा। सड़क से लेकर संसद तक लोगों ने धावा बोल दिया। सरकार के हाथ पैर फूल गए। इन सब की वजह है इजरायल के नए कानून। कथित तौर पर कहा जा रहा है ये लोकतंत्र को कमजोर कर देगा। एक और बात ये कि गैर इस्लामी मुल्कों के लिए इजरायल नया मॉडल बन रहा है।

क्या है इजरायल ज्यूडिशियल रिफॉर्म बिल?

  • इजरायल में कानून में प्रस्तावित बदलाव किया जाएगा
  • नए कानून के आने से कमजोर हो जाएगी अदालत
  • संसद में बने कानून की समीक्षा का अधिकार नहीं होगा
  • संसद में बने कानून रद्द करने का अधिकार नहीं होगा
  • अदालत के फैसले को संसद में ही बदला जा सकेगा
  • जजों की नियुक्ति के लिए सरकार की मंजूरी जरुरी

तानाशाही की लड़ाई पुरानी

लोकतंत्र बनाम तानाशाही की लड़ाई पुरानी है। आज अधिकतर देशों में लोकतंत्र स्थापित है। जनता सरकार का चुनाव करती है। न्यायपालिका स्वतंत्र है। गैर इस्लामी मुल्कों की बात अगर छोड़ दें तो बाकी देशों में लोकतंत्र मजबूती से अपना किरदार निभा रहा था। अगर सरकारें इसको कमजोर करने की कोशिश भी करती थीं तो जनता बगावत पर उतर जाती है। जैसा आज इजरायल में हो रहा है।

हालांकि, इजरायल अपने देश की सुरक्षा को काफी तर्जे देता है। जिससे कि नेतन्याहू सरकार को लगता है। विरोध प्रदर्श ने इजरायल की सुरक्षा को खतरा होगा।

बता दें कि, पीएम बेंजामिन नेतान्याहू को इस बार बड़ी मुश्किल से गद्दी मिली है। वो नहीं चाहते कि अब दोबारा उनको कोई सत्ता से हटा पाए। इसके लिए उन्होंने नए कानून बना दिए। कानून भी ऐसे जो लोकतंत्र को ही कमजोर करने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट को संसद के आगे नतमस्तक करने वाला कानून।

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– Tarannum Rajpoot