आरटीई शासन से फिस प्रतिपूर्ति नहीं आया तो बच्चे को प्राइवेट स्कूल से निकाला गरीब पिता अब परेशान

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*आरटीई: शासन से फिस प्रतिपूर्ति नही आया तो बच्चे को प्राइवेट स्कूल से निकाला, गरीब पिता अब परेशान*

* केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के संसदीय क्षेत्र मिर्ज़ापुर के कछवा बाज़ार के निजी स्कूल में तीन चार साल पहले आरटीई के तहत कई गरीब बच्चों का एडमिशन हुआ था. लगातार चार से साल इस वर्ष भी शासन से फिस प्रतिपूर्ति नहीं आया तो उसे स्कूल से निकाल दिया गया. अब गरीब पिता बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित है.*

*अभिभावको संग शिक्षाधिकार अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं ने बैठक कर प्रकरण की रिपोर्ट तैयार कर बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संज्ञान में देकर शिक्षाधिकार से वंचित ग़रीब छात्रों के पुनः दाख़िला मुकम्मल कराने का पीड़ित अभिभावकों को ठोस आश्वासन दिया है*

*मिर्ज़ापुर: कछवा बाज़ार,* में कई गरीब मासूम बच्चे को निजी स्कूल ने सिर्फ इसलिए बाहर का रास्ता दिखा दिया, क्योंकि पिछले तीन चार साल से लगातार शासन से फिस प्रतिपूर्ति नहीं आ रहा था. तीन व चार साल पहले कई बच्चों का प्राइेवट स्कूल में एडमिशन शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हुआ था. बच्चों को निकाले जाने से उसका गरीब माता पिता परेशान है.

दरअसल आरटीई-2009 के तहत बच्चों को 6 से 14 वर्ष की उम्र तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है. इसमें निजी स्कूलों को भी 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को भर्ती करना होता है. आरटीई के तहत कछवा बाज़ार में कई गरीब परिवार के बच्चों का चयन तीन व चार साल पहले प्राइवेट स्कूल में हुआ था, जहां बच्चे LKG से पढ़ रहे थे. लेकिन, लगातार तीन चार साल से इस वर्ष भी किन्हीं कारणों से छात्र के फिस प्रतिपूर्ति शासन से नहीं आ रहे थे. इस वजह से शासन द्वारा प्राइवेट स्कूल को फीस का भुगतान नहीं हो सका और उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

अफसर भी नहीं सुन रहे गुहार
प्राइवेट स्कूल के संचालक ने फीस का हवाला देकर गरीब छात्रों को विद्यालय से निकाल दिया. शिक्षा के अधिकार अधिनियम में पात्र होने के बाद भी अब यह मासूम बच्चे पढ़ाई छोड़कर घर बैठे है. बेटे की शिक्षा को लेकर पिता भी चिंतित हैं. बेटे की शिक्षा को लेकर मजबूर पिता कई बार आलाधिकारियों के सामने गुहार लगा चुके है, जहां से अब तक उसे सिर्फ आश्वासन ही मिला है.

फीस जमा करो तभी होगा एडमिशन
पिता ने बताया, मैं तो पढ़ा-लिखा नहीं हूं, लेकिन मैंने अपने बच्चों का दाखिला आरटीई के तहत अलाभित और दुर्बल वर्ग के माध्यम से एक प्राइवेट स्कूल में कराया था. लेकिन बच्चे के फिस प्रतिपूर्ति का शासन से भुगतान नहीं होने के चलते उसके बच्चों को स्कूल प्रबंधन ने निकाल दिया और कहा है कि जब फीस जमा होगी, तब बच्चा यहां पढ़ सकेगा. पिता का कहना है कि पैसे नहीं होने के चलते मैं उसकी फीस नहीं भर सकता. अब फिस प्रतिपूर्ति का भुगतान क्यों नहीं हो रहा, ये वह भी नहीं जानता.

इस प्रकरण की जानकारी होने पर उत्तर प्रदेश शिक्षा का अधिकार अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओ ने गुरुवार को पीड़ित अभिभावकों के साथ कछवा बाज़ार स्थित कम्पोजिट स्कूल के पास बैठक कर पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संज्ञान में देकर शिक्षाधिकार से वंचित ग़रीब छात्रों के पुनः दाख़िला मुकम्मल कराने का पीड़ित अभिभावकों को ठोस आश्वासन दिया है और शिक्षाधिकारियो से दूरभाष द्वारा संबंधित प्राइवेट स्कूल के खिलाफ कार्यवाही की माँग रखी है। बैठक में लखनऊ से पधारे रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख अजय पटेल, वाराणसी से पधारे हिमाद्री ट्रस्ट के प्रमुख राजकुमार गुप्ता, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता चन्द्र भूषण राय, सहित कई पीड़ित अभिभावक उपस्थित थे।

AHN NEWS के लिए सुभाष शास्त्री के साथ
राजकुमार गुप्ता
वाराणसी