राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान पूर्व मंत्री भगवत ने निभाई सक्रिय भूमिका इन ख़बरों बिगड़ सकते हैं चुनाव के समीकरण
-चुनावी महासमर में पार्टियां मतदाताओं को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं ऐसे में जुबानी हमले और पुराने वीडियो का भी सहारा लिया जा रहा है ऐसे में अगर किसी प्रत्याशी या पार्टी की दुखती रग पर हाथ रख दिया जाए तो उसका चुनावी खेल बिगड़ने की संभावनाएं बनी रहती हैं ऐसा ही मामला पीलीभीत में प्रकाश में आया है
आपको बता दें कि एक प्रेस वार्ता के दौरान सपा प्रत्याशी भगवत शरण गंगवार असहज नजर आए एक पत्रकार के सवाल के जबाब पर उनके साथ कांग्रेस की लोक सभा ऑब्जर्वर इतिहास को न दोहराने की गुहार लगाने लगी और बीजेपी पर भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाने लगी लेकिन जो मतदाता कल तक भगवत शरण गंगवार के साथ घूम रहे थे बाबरी मस्जिद में उनका नाम आने की जानकारी होने के बाद वह लोग भी अब कन्नी काटने लगे एक सपा कार्यकर्ता से जब इस बारे में सवाल पूछा गया तो उसने सपा को वोट न देने की बात कह कर वहां मौजूद लोगों को चौंका दिया उसने कहा मेरे लिए धर्म पहले है और पार्टी बाद में अगर बाबरी मस्जिद का विध्वंस करने में इनका हाथ है तो निश्चित रूप से यह गलत है और इनको वोट नहीं दिया जाएगा
राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान पूर्व मंत्री भगवत ने निभाई सक्रिय भूमिका*
खबरों के अनुसार राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान भगवत सरन गंगवार ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। सपा के पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार उस वक्त बीजेपी के युवा नेता हुआ करते थे। बताया जा रहा है कि 1990 में नवाबगंज में डेढ़ सौ भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ भगवत सरन गंगवार ने गिरफ्तारी दी। भगवत को पुलिस साथियों समेत शाहजहांपुर ले गई और एफसीआई गोदाम में बंद कर दिया। 16 दिन तक भगवत गोदाम में बंद रहे। भगवत सरन ने बताया कि 1990 में पूरे देश में राम जन्मभूमि आंदोलन जोर शोर से चल रहा था। लालकृष्ण आडवाणी गुजरात से रथ लेकर निकले थे। आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद पूरे प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। संतोष गंगवार को पहले गिरफ्तार कर लिया गया था। भगवत बताते हैं कि नवाबगंज में आंदोलन की कमान उनको दी गई थी। 16 दिन एफसीआई गोदाम में बंद रहने के बाद बगैर जमानत सबको रिहा कर दिया गया। 1991 में बीजेपी के विधायक के तौर नवाबगंज से चुने गए। 1992 में हम सत्ता में थे।।
फिलहाल इस वक्त पुरानी खबरें काफी हद तक सपा प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं
क्योंकि मुस्लिम वोट सपा का ठोस वोट माना जाता है