बच्चों की आवश्यकता को मुख्यधारा में लाने की जरूरत

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नयी दिल्ली 24 मार्च (वार्ता) नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा है कि बच्चे के पहले 1000 दिन के लिए एक उत्तम वातावरण बनाने हेतु सभी पक्षों को एक साथ आने की जरूरत है। डॉ. पाॅल ने गुरुवार देर शाम यहां गैर-लाभकारी संगठन रॉकेट लर्निंग के पहले “अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन” (ईसीसीई) सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि एक बच्चा जानकारी और लाखों ‘न्यूरोन कनेक्शन ‘ से भरा हुआ पैदा होता है। हमें 0-3 आयु वर्ग की क्षमता और मूलभूत जरूरतों को मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है और यह बहुत महत्वपूर्ण है कि माता-पिता अपने बच्चों को बातचीत और मूलभूत कौशल सिखाने में समान जिम्मेदारी साझा करें।

उन्होंने कहा कि छह साल की उम्र से पहले मानसिक विकास का 85 प्रतिशत के साथ, आईक्यू और शारीरिक क्षमताओं को विकसित करने के लिए शुरुआती वर्षों में पर्याप्त प्रयास सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। यह संगठन भारत में 3-8 वर्ष के बच्चों तक गुणवता शिक्षा को समान रूप से सभी तक पहुँचाने के लिए काम करता है। इस सम्मेलन में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदेवर पांडे, हरियाणा की महिला एवं बाल विकास आयुक्त और सचिव सुश्री अमनीत कुमार तथा कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और जे-पीएएल के प्रोफेसर कार्तिक मुरलीधरन ने भाग लिया। श्री पांडे ने आंगनवाड़ी प्रणाली में नामांकित 3-6 आयु वर्ग के तीन करोड़ बच्चों के लिए उच्च गुणवतापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक यह सुनिश्चित करना है कि आंगनवाड़ी प्रणाली उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षण प्रणाली के रूप में जानी जाए और प्रत्येक केंद्र “पोषण भी, पढ़ाई भी” पहल के माध्यम से एक उच्च गुणवत्ता वाला प्री-स्कूल हो। इसके लिए राज्यों को साल भर में ‘हाइब्रिड डिजिटल’ और ‘इन-पर्सन मोड’ के माध्यम से क्षमता निर्माण को और बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिक्षा आंगनवाड़ी प्रणाली की पहचान बन जाए। उन्होंने कहा कि जन भागीदारी सभी के लिए समान नींव सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगी। माता-पिता, आंगनवाड़ी सेविकाएं और सहायिकाओं को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है कि भारत के सबसे युवा नागरिक अपनी क्षमता और पूर्ण विकास प्राप्त करके सक्षम बने ताकि भारत को अमृत काल स्वप्न की दिशा में बढ़ने में प्रभावी ढंग से योगदान दे सकें।